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2 Winnership Qualities
Break the wall of failure
Attitude and devotion are two aspects of life which are quite related to each other. Either you will win or lose. Today is a good or a bad day, it is just defined by your attitude. It depends how much you are devoted to yourself, to your teachers and to your parents. It is your attitude only which shows how you are displaying your inner thoughts to outer world. In reality it is relying upon what is your principle towards your life, what are you doing, what do you want to do and why are you doing it? As in truly attitude begins with parents and family. Intelligence is something that can be a God’s gift or a genetic factor, but attitude is, which is being made by itself. The real attitude of a human being is identified by the person living with him. Surrender has a very deep attachment to the vision such as the eyes or ears with the face. Remember, if you are dedicated to yourself, then only in the devotion of someone else ,who analyze and recognize you in 5 minutes of first meeting ,surely there you can learn or do something .
Psychologically the cause of attitude and devotion can be exemplified by the story of Mahabharata when Duryodhana and Arjuna go to seek help from Lord Krishna for the battle. When Duryodhana stands near the head of Shri Krishna with pride and Arjuna stands close to Sri Krishna’s feet with modesty and humility and then it was asked by Krishna to Arjuna that what do you want?? In reply Arjun says you only my lord and Duryodhana demanded the whole army of Krishna. This shows the positive attitude of sage Arjuna who identified the real power of Krishna and was devoted for him and eventually won the battle. Right attitude is what you say, what you do and what you pursue out of the opportunities that are available. It is only your choice to think that you can or you cannot .Same if you choose self encouragement or self defeat /pity is your fundamental principle .It’s not what happens to you that matters, it’s how you choose to respond. A qualitative or positive attitude person can be identified by who is always ready for confront or accept the challenges. He always associates himself with the inspirational people who reflect good thoughts. There is no doubt that most of the people you meet in this short span of life do not have a positive attitude. It is your own attitude that reminds you whom to choose and why to choose. Most of the people who climb the ladder of success are especially aware of this phenomenon.
If you throw a stone in the river, the stone will go down and the nature of the water will remain the same. In the same way, if you are right in your place and someone does evil behind your back, then the example of water is suitable for you.
There are possibilities that bad days come in your life, you will also get failure, and there will be tension all around. But the warrior inside you is not so fragile that he surrenders himself so easily. Burn yourself so much that you become a paradigm for this world, but for this, you have to maintain a vigil. If I analyze my 13 years of professional life or before I got a job or before my college or school life, there are very few students, friends, parents or other people that I have been influenced by. It means that it is not whether his attitude is right or not, it may be effective for other people. I think you will also have to find it to move forward.
7 golden points to build your right attitude which needs full devotion are as follows:
- No matter what happens in your life. Go forward stronger and bounce back harder.
- Make your self image and maintain your self esteem. Introspect your strengths and weaknesses (only 5 persons out of 100 do this according to my personal experience so try to raise this graph)
- Dig out what motivates you. That can be your genuine friends, books, movies/songs, parents/teachers, stories or any other. (Scratch and stretch your mind)
- Listen your own recorded voice of your aim. (more and more especially when your mood gets off and specially in pleasant morning and before going to bed).
- Try to generate smile on your face most of the time. (It requires internal happiness which comes through to do more and more good things what you like).
- Participate in physical and mental exercises. (If you will try from today then only something can happen. No miracle will happen if you are going to start from next Monday or next month)
- Command on your words what you speak. (Alert mind with your emotions & feelings bring out the logical words. The habit of talking without meaning can make you a slave to another person).
No one is good or no one is bad,
this is a vision.
who is yours, who is mine,
it is the place of all surrender.
Trampled ego, who flows like water.
By keeping a sense of dedication,
who remains in the command of his elders.
For those whose soul is ornamented with,
self confidence, the challenges,
are a handful of ashes for him.
Pledge yourself, surrender yourself.
I have to move forward,
I have no fear of the storm.
I have to walk up to the sky,
in an attempt to get myself.
No one is good or no one is bad,
this is a vision,
who is yours, who is mine,
it is the place of all surrender.
Author:
MR. ANIL CHAUDHARY
PSYCHOMETRIC ANALYST
Defence Career Guide & Motivatorविजेता के 2 गुण
असफलता की दीवार तोड़ो
नजरिया और समर्पण एक दूसरे के पहलू हैं| आपकी जीत होगी या हार ,आज आपका अच्छा दिन है या बुरा दिन यह आपके नजरिए पर निर्भर करता है| आप अपने खुद के लिए, अपने अध्यापकों और अपने माता-पिता के लिए कितने समर्पित हैं यह भी आपका नजरिया दर्शाता है| आप की अंदर की सोच को आप बाहर कैसे प्रदर्शित कर रहे हैं यह भी आपका रवैया ही है| आपका अपने जीवन के प्रति कैसा सिद्धांत है?आप क्या कर रहे हैं? क्या करना चाहते हैं? क्यों कर रहे हैं? यह भी आपका नजरिया है| रवैये और समर्पण की शुरुआत माता पिता और परिवार से होती है| बुद्धिमता एक ऐसी चीज है जो भगवान की देन या फिर अनुवांशिक भी हो सकती है लेकिन नजरिया खुद के बनाने से बनता है या फिर बनाया जाता है| इंसान के असली रवैये की पहचान उसके साथ रहने वाले व्यक्ति से होती है| समर्पण का नजरिए के साथ बहुत गहरा लगाव है जैसे आंखों या कानों का चेहरे के साथ |याद रखो अगर आप खुद के लिए समर्पित हो तभी किसी और ऐसे इंसान के समर्पण में आप कुछ सीख सकते हो या कर सकते हो, जो आपके रवैये को आपसे मिलते ही भांप जाये |
मनोवैज्ञानिक तौर पर नजरिया और समर्पण के बारे में महाभारत काल का उदाहरण ले सकते हैं जब दुर्योधन और अर्जुन श्री कृष्ण से युद्ध के लिए सहायता मांगने जाते हैं और वहां से दुर्योधन का और अर्जुन का नजरिया पता चलता है, जब दुर्योधन श्री कृष्ण के सिर के पास घमंड के साथ खड़े होते हैं और अर्जुन श्रीकृष्ण के चरणों के पास विनय भाव और विनम्रता से खड़े होते हैं और श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन से पूछा जाता है कि तुम्हें क्या चाहिए, अर्जुन ने कहा कि मेरे भगवान “केवल आप” और दुर्योधन ने श्री कृष्ण की पूरी सेना की मांग की| यह कहानी अर्जुन के सकारात्मक रवैये को दर्शाती है, जिन्होंने श्रीकृष्ण की वास्तविक शक्ति को पहचाना और अपने आप को उनके चरणों में समर्पित किया और अंत में महाभारत युद्ध में विजय हासिल की । सही रवैया वह है जो आप कहते हैं वही आप करते हैं। आप अपने अवसरों को खुद चुनते हैं और उसका पीछा करते हैं । अगर आपको लगता है कि जो आप सोचते हैं वह आप कर सकते हैं, तो यह आपकी पसंद है। यदि आप आत्म प्रोत्साहन या आत्म हार को चुनते हैं, तो यह आपका मूलभूत सिद्धांत है। एक गुणात्मक या सकारात्मक दृष्टिकोण वाले व्यक्ति की पहचान की जा सकती है, जो हमेशा संघर्ष के लिए तैयार रहता है या चुनौतियों को स्वीकार करता है। वह प्रेरणादायक लोगों के साथ जुड़ेगा जो अच्छे विचारों को दर्शाता है। कोई संदेह नहीं है कि इस छोटी सी जिंदगी में आपको मिलने वाले ज्यादातर लोगों का रवैया सकारात्मक नहीं है पर यह आपका सही नजरिया दिखाता है कि किसे चुनना है और किसे नहीं चुना है और ज्यादातर सफलता की सीढ़ी चढ़ने वाले लोग इसी चीज का खासकर ध्यान रखते हैं|
नदी के पानी में पत्थर मारने से पत्थर ही नीचे जाएगा और पानी का स्वभाव वैसे का वैसा रहेगा | इसी तरीके से अगर आप अपनी जगह पर सही हैं और पीठ पीछे से आपकी कोई बुराई करता है तो आपके लिए पानी का उदाहरण बहुत अच्छा है|
आपकी जिंदगी में बुरे दिन आएंगे ,आपको विफलता भी मिलेगी व कहीं ना कहीं तनाव भी होगा| पर आपके अंदर रहने वाला खिलाड़ी इतना कमजोर नहीं है कि जो हमेशा शून्य पर आउट हो जाए| अपने आपको इतना प्रज्वलित कर दो कि इस दुनिया के लिए मिशाल बन जाओ लेकिन इसके लिए खुद को तपाने का जिगरा कायम रखना होगा| मैं अपनी 13 वर्ष की व्यावसायिक जिंदगी या उससे पहले मैंने नौकरी की या उससे पहले मेरी कॉलेज या स्कूल की जिंदगी का विश्लेषण करूं तो बहुत कम संख्या में ऐसे विद्यार्थी ,दोस्त ,माता-पिता या अन्य लोग मुझे मिले जिनसे मैं प्रभावित हुआ, इसका मतलब यह नहीं है कि उनका रवैया ठीक है या नहीं, हो सकता है वे अन्य लोगों के लिए प्रभावशाली हो| मेरे ख्याल से आगे बढ़ने के लिए आपको भी यह तलाश करनी होगी|
आपके सही दृष्टिकोण के निर्माण के लिए 7 सुनहरे नियम बताने जा रहा हूं जिसके लिए पूर्ण समर्पण की आवश्यकता है, वे इस प्रकार हैं:
- कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आपके जीवन में क्या-क्या चल रहा है । मजबूती से आगे जाएं और कठोरता से वापिस आएं ।
- अपनी आत्म छवि बनाएं और अपने आत्मसम्मान को कायमरखें। अपनी ताकत और कमजोरियों का पता लगाएं (मेरे व्यक्तिगत अनुभव के अनुसार 100 में से केवल 5 व्यक्ति ऐसा करते हैं इसलिए इस ग्राफ को बढ़ाने की कोशिश करें)
- आपको किस चीज से प्रोत्साहन मिलता है ?आपके वास्तविक दोस्त, किताबें, फिल्में / गाने, माता-पिता / शिक्षक, कहानियां या अन्य कोईहो सकता है। (अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाए)।
- अपने जीवन के उद्देश्य के लिए खुद के द्वारा रिकॉर्ड की गई आवाज को रोज सुनने की आदत डालें । इसे खासकर तब सुनें जब आपका मूड सही ना हो और विशेष रूप से सुबह एवं सोने से पहले।
- अधिकांश समय अपने चेहरे पर मुस्कुराहट उत्पन्न करने की कोशिश करें। इसमें आंतरिक खुशी की आवश्यकता होती है जो आपको अपनी पसंदीदा वस्तु या व्यक्ति से मिलती है|
- शारीरिक और मानसिक अभ्यास में भाग लें। (यदि आप आज से ही प्रयास करेंगे तो कुछ हो सकता है। यदि आप अगले सोमवार या अगले महीने से शुरू होने जा रहे हैं तो कोई चमत्कार नहीं होगा|)
- अपनी भावनाओं का अपने शब्दों के साथ तालमेल बनाने की कोशिश करें । बिना मतलब की बात करने की आदत आपको दूसरे व्यक्ति का गुलाम बना सकती है।
ना कोई अच्छा है, ना कोई बुरा है,
यह तो एक नजरिया है|
कौन तेरा है, कौन मेरा है,
यह तो सब समर्पण का बसेरा है|
अहंकार को रौंदकर,
जो पानी की तरह छन छन बहता है|
समर्पण का भाव रखकर,
जो अपनी गुरुजनों की आज्ञा में रहता है|
आत्मविश्वास जिसकी आत्मा का अलंकार है,
चुनौतियां उसके लिए मुट्ठी भर राख है|
प्रण करो, समर्पण करो |
मुझे आगे बढ़ना है,
आंधी आए तूफान आए, मुझे अब ना डरना है|
खुद को पाने की कोशिश में,
आसमान तक भी चलना है|
ना कोई अच्छा है,ना कोई बुरा है,
यह तो एक नजरिया है|
कौन तेरा है, कौन मेरा है,
यह तो सब समर्पण का बसेरा है|
Author:
Sanjay Sharma
7 Apr 2020Appreciable sir. This really enlighten us deeply. looking forward for this
Preeti
13 Apr 2020Hello, Thoughts crafted beautifully into engaging words with examples. Know urself, motivate and focus + guidelines are completing your witting point of view.
Mukesh
13 Apr 2020Thought provoking and enabling.
Vikas
13 Apr 2020Awesome and very motivational lines 👍👍
Paras
13 Apr 2020Correct words and example to lead us towards self introspection thanks a lot sir
Monika
14 Apr 2020Fabulous sir. You pointed out several things that I will remember for years to come. It will definitely help us to achieve our aim .
PRAVEEN
14 Apr 2020Ofcourse sir… Devotion and attitude is paramount.. And believe in you and the path you have chosen..
If someone wants to achieve target and keep in mind these seven rules also.. He / she will unstoppable…
Point 4 will be entertaining also
Ramesh Godara
14 Apr 2020You are absolutely right sir.. I’m feeling fire inside me while analysising these thoughts.. Today onward I will follow these points… It’s very important to live a happy and satisfied life also.. Thanks sir